*!! करनी का फल !!*~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
हिमाचल प्रदेश के जंगलों में एक बूढ़ा शेर रहता था | एक दिन शिकार करते समय शेर एक चट्टान से गिर गया | इससे उसके पैर में चोट आ गयी | चोट तो जल्द ठीक हो गयी; किंतु इससे शेर लंगड़ा हो गया |
बेचारे लंगड़े शेर का भागना-दौड़ना तो दूर चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया | वह शिकार नहीं कर पाता था | अतः वह भूखा मरने लगा भूख के कारण शेर बहुत कमजोर हो गया |
एक चतुर लोमड़ ने जब शेर की यह हालत देखी तो एक दिन वह उसके पास आया और उससे बोला – “ महाराज ! आप तो इस जंगल के राजा हैं | आपको दु:खी तथा कमजोर देखकर मुझे बहुत दु:ख हो रहा है |”
लोमड़ कुछ क्षण रुककर आगे बोला – “ मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं | मुसीबत के समय अपने राजा की सेवा करना ही मैं अपना कर्तव्य समझता हूं | अगर आप वादा करें कि आप मुझे कभी नहीं मारेंगे तो मैं सदा आपकी सेवा करता रहूंगा |” बुड्ढा शेर बड़े ध्यान से लोमड़ की बात सुनता रहा |
लोमड़ आगे बोला – “ मैं प्रतिदिन आपके लिये यही पर शिकार लेकर आया करूंगा | आप शिकार के अपने पास आने पर उसे मारकर खा लिया करना | जब आपका पेट भर जायेगा तो बचा-कुचा मैं भी खा लिया करूंगा |”
लोमड़ की बात सुनकर शेर बड़ा खुश हुआ | बुड्ढा शेर उससे बोला – “ तुम मेरे कमजोर होने तथा मेरी बेचारगी पर तरस खाकर मेरी मदद करना चाहते हो, तो फिर मैं तुम्हारे साथ कभी धोखा नहीं करूंगा | मैं तुम्हारे इस अहसान को सदा याद रखूंगा और तुम्हारा मित्र बनकर ही रहूंगा |”
लोमड़ शेर की बात सुनकर बोला – “ ठीक है ! तो बात पक्की हुयी |” यह कहकर लोमड़ बहुत खुश हुआ और हर रोज अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसाकर भोले जानवरों को शेर के पास लाने लगा |
शेर जानवर को देखते ही उस पर टूट पड़ता और मारकर उसे खा जाता और लोमड़ बचा-कुचा मांस खाकर अपना पेट भरता था | इस तरह दोनों एक दूसरे की सहायता कर खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे |
उनके यह काम काफी समय तक चलते रहे | लंबा समय गुजर जाने के बाद अब जानवर लोमड़ की चालाकी को अच्छी तरह समझ गये थे |
इसी कारण वे लोमड़ से बहुत नाराज हो गये थे | एक दिन जंगल के सभी जानवरों ने सभा की उसमें यह फैसला किया गया कि ‘ जिस तरह लोमड़ ने धोखा देकर हम जानवरों को सताया है | उसी तरह उसे भी शेर के हाथों मरवा दिया जाये |’ ऐसा करने से लोमड़ से पीछा छूट जायेगा और शेर तो भूख से तड़प-तड़प कर ही मर जायेगा |
सभी जानवरों को यह तरकीब पसंद आयी | इस तरकीब को पूरा करने के लिए एक समय निश्चित किया गया कि जब लोमड़ शिकार के लिए गया हुआ होगा तब तुरंत ही शेर के पास जाकर अपनी बात कह देंगे |
इस प्रकार वह सब निश्चित किये गये समय पर शेर के पास पहुंचे और उससे कहा – “ यह जानकर कि आपके पैर में चोट आ गयी है | हम लोगों को बड़ा दु:ख हुआ | चोट के कारण आप चलने-फिरने से भी मजबूर हैं इसलिए जब तक आप की तबीयत बिल्कुल ठीक नहीं हो जाती | हम खुद ही आपके लिये एक जानवर प्रतिदिन भेज दिया करेंगे साथ ही हम आपके इस लंगड़ेपन को दूर करने के लिए एक दवा भी बताने आये हैं | इतना कहकर वे चुप हो गये |
उन्हें चुप देखकर शेर उत्सुक होकर बोला – “ जल्दी बताओ! वह दवा क्या है |”
जानवर बोले – “ अगर आप लोमड़ का ताजा खून अपने पैर पर मले तो आपका यह लंगड़ा पन शीघ्र ही दूर हो सकता है | इसलिए अगर हो सके तो आप इस इलाज को जरूर करें |” इतना कहकर जानवर शेर को प्रणाम करके वहां से चले गये |
कुछ देर बाद लोमड़ शिकार फंसाकर वहां ले आया | शेर ने शिकार के साथ लोमड़ को देखा तो उसे जानवरों की कही बात याद आ गयी |
शेर तुरंत ही शिकार छोड़कर लोमड़ पर झपट पड़ा | उसने एक ही झटके में उसे खत्म कर दिया | लोमड़ का खून उसने अपने पैर पर मला |
दो-तीन दिन बाद जब शेर का लंगड़ापन नहीं गया और न ही कोई जानवर उसके पास आया तो वह उन जानवरों की चाल समझ गया | कुछ दिनों बाद शेर भी भूख से तड़प-तड़प कर मर गया |
इस प्रकार जानवरों की जान बच गयी और लोमड़ को अपनी करनी का फल मिल गया |
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
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