प्रेरक प्रसंग : नजरिया अपना-अपना

 आज का प्रेरक प्रसंग


        *!! नजरिया अपना-अपना !!*

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मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे, तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे  हो ?” मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर, अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर, राहुल जो कह रहा है वह बिलकुल गलत है इसलिए उसकी बात सुनने से कोई फायदा नही। और ऐसा कह कर वे फिर तू-तू मैं-मैं करने लगे। मास्टर जी ने पास आने का इशारा कहा,”तुम दोनों यहाँ मेरे पास आओ।” 


अगले ही पल दोनो परस्पर व्यंगात्मक भाव लिए मास्टर जी की टेबल पर पँहुच गए। मास्टर जी ने दोनों छात्रों को अपनी टेबल के दाएं बाएं बैठने को कहा। अब शेष छात्रों को सम्बोधित करते हुए बोले, ”Fingure On The Lips. सभी छात्र पूर्ण शान्ति से बैठे रहें।” कक्षा में पूर्ण सन्नाटा छा गया सभी छात्रों की कौतुक नजरें मास्टर जी की तरफ। “जब तक ये दोनों छात्र यँहा मेरे पास हैं तब तक आप में से कोई छात्र कुछ नहीं बोलेगा।”मास्टर जी ने एक बार पुनः अपना आदेश दोहराया।


अब मास्टर जी ने कवर्ड से एक बड़ी सी गेंद निकाली और अपनी टेबल  के बीचो-बीच रख दी। मास्टर जी ने अपनी दायीं ओर बैठे राहुल से पूछा, “बताओ, यह गेंद किस रंग की है। राहुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,” जी यह सफ़ेद रंग की है।” मास्टर जी ने वही प्रश्न बाएं ओर के अमित से भी पूछा,”तुम बताओ यह गेंद किस रंग की है? अमित पूर्ण विश्वास के साथ बोला,”जी काली है।” दोनों छात्र  अपने जवाब को लेकर पूरी तरह कॉंफिडेंट थे। अब फिर दोनों ने गेंद के रंग को लेकर बहस शुरू कर दी। 


मास्टर जी ने उन्हें शांत कराते हुए कहा,”अब तुम दोनों अपना अपना स्थान बदल लो और फिर बताओ की गेंद किस रंग की है ?” कक्षा के शेष छात्र कौतुक दृष्टि से तमाशा देख रहे थे। अमित अब दायीं ओर जबकि राहुल बाईं ओर आ गया था। इस बार उनके जवाब भी बदल चुके थे।राहुल ने गेंद का रंग काला तो अमित ने सफ़ेद बताया। मास्टर जी ने दोनों को अपनी अपनी सीट पर भेज कर गंभीर स्वर में कहा ,” बच्चों! यह गेंद दो रंगो से बनी है और जिस तरह यह एक जगह से देखने पर काली और दूसरी जगह से देखने पर सफ़ेद दिखाई देती है।


उसी प्रकार हमारे जीवन में भी हर एक चीज को अलग अलग दृष्टिकोण से देखा जा सकता है। ज़रूरी नहीं कि  जिस तरह से आप किसी चीज को देखते हैं उसी तरह दूसरा भी उसे देखें... इसलिए *यदि कभी हमारे बीच विचारों को लेकर मतभेद हो तो यह ना सोचें कि सामने वाला बिलकुल गलत है बल्कि चीजों को उसके नज़रिये से देखने और उसे अपना नजरिया समझाने का प्रयास करें। तभी आप एक अर्थपूर्ण संवाद कर सकते हैं।”* सभी छात्रों ने करतल ध्वनि से मास्टर जी की बात का समर्थन किया।


*शिक्षा :-*

हम भी एक दूसरे के नज़रिए को समझ कर अपने बीच उपजी संवादहीनता को दूर करने का प्रयास करें क्योंकि संवाद ही एकमात्र वह प्रक्रिया है जो हमारी गलतवहमी को दूर कर आपसी रिश्तों को मजबूत बनाती है।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*

Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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